पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था: हम टिक -टाक युवाओं पर इतना बोज क्यों ?


अगले ५-७ वर्षो में भारत को 350 खरब रुपये (पांच खरब डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हम को ना सिर्फ आर्थिक सुस्ती से निजात पाना होगाबल्कि हर साल करीब आठ फीसद की विकास दर भी हासिल करनी होगी।सभी अर्थशास्त्री और विशेषज्ञों की यही राय है और केंद्र सरकार से मांग भी है और उम्मीद भी. 

मैंने यहाँ पर "हम" सब्द का प्रयोग इस लिए किया क्योंकि यह सब हम सभी १३० करोड़ भारतीयों के सहयोग से ही सम्भव हो सकेगा। रोजगार के अवसरों में वृद्धि करदाताओं की संख्या में वृद्धि और आर्थिक उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की आवश्यकता है। देश को बड़े लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा और अपने समय का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना समय की सबसे बड़ी माँग है 

हाल ही में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह अचंभित करने वाली बड़ी  गंभीर खबर छपी हुयी थी जिसमे यह बताया गया कि 2019 भारत  ने 5.5 अरब घंटे चीनी मोबाइल ऐप  "टिक -टाक" पर बिताये। जिसका मतलब है लगभग 5 घंटे प्रति व्यक्ति कीमती समय भारत के लोग , खासकर युवा पीढ़ी टिक टाक और कई अनेको ऐपस पर व्यतीत करते  है जिससे देश की प्रोडक्टविटी पर अच्छा खासा असर पड रहा है. इससे इन युवाओ की सोच पर क्या प्रभाव पड़ रहा है वह एक अलग व्याख्या का विषय है.  

उपरोक्त समय का आधा उपयोग भी अगर देश का यह टिक टाक वर्ग अपने और अपने परिवार के वेलफेयर के लिए इस्तेमाल करे तो देश थोड़ा और ज्यादा (परसेंट जीडीपी में जीरो पॉइंट 5 % का योगदान हो सकता हैमालामाल और खुशहाल  हो सकता है. काफी गंभीर चिंता का विषय यह भी है कि बढ़ते हुए शिक्षा के स्तर से आज कल की युवा पीढ़ी घरेलु काम काज करने मे शर्म महसूस करते हैं जिसकी वजह सेखासकर रूरल इंडिया में खेत-खलियान बंजर भूमि मे तब्दील हो रहे और युवा काफी ज्यादा संख्या में खेतीबाड़ी से नौकरी करने मे गर्व महसूस करने लगे हैं और रोज़गार के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं . इस वज़ह से भी बेरोजगारी मे काफी इजाफा हो गया है जिसका इलाज खोज पाना  जनसंख्या मे विस्फोटक बढ़ोतरी के चलते बहुत मुश्किल सा हो गया है. 

आज से 20 साल पहले, एक निजी नौकरी खोजना काफी आसान था, पढ़े लिखे, ग्रेजुएट व् पेशेवर डिग्री डिप्लोमा वाले नौजवानो की कमी थी. जबकि सरकारी नौकरी पाना काफी मुश्किल था. खास कर सामान्य वर्ग के युवाओ के लिए आरक्षण उगेरा की आसान सहुलियत नहीं थी, और आज भी नहीं है.  अब हालात और भी मुश्किल हो गये है. निजी क्षेत्र में भी आवश्यक संख्या में नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं। 

हमारे सभी युवाओं को इस कठिन परिस्थिति को समझने की जरूरत है और तदनुसार अपने जीवन के विकास पथ और स्थिरता के लिए खुद को और जुझारू और योग्य बनने पर ध्यान देना होगा और कार्य क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करने की लिए, अपनी ताकत व् कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए  युवा अवस्था में प्रवेश करते ही , छोटा मोटा ही सही कुछ न कुछ कार्य से अपने आप को जोड़ना होगा। कुछ करने से ही कुछ बनने के रस्ते निकलेंगे और यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी है. 

प्री प्राइमरी स्कूल एजुकेशन पर भी ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे बच्चों के दिमाग का विकास एक खोजी दिमाग के तौर पे उभर सके ताकि ये बच्चे बड़े होकर अपने ही देश में नये अविष्कारों के जनक बन सके। 

साथ ही देश के मेरे युवा साथियो, हम सब के लिए कर का भुगतान करना और वार्षिक रिटर्न फाइल करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह वास्तव में दुखद है कि हमारे इस विशाल  देश में सिर्फ 1.5 करोड़ (२% से भी कम) लोग टैक्स फाइल करते है . हालिया आंकड़ों के अनुसार लोग हर साल 1.5 करोड़ लग्जरी कारें खरीदते हैं और 3 करोड़ से अधिक लोग छुट्टियों में विदेश यात्रा करते हैं और केवल 2200 लोग ही  1 करोड़ रुपये से अधिक की आय घोषित करते है।  

हमें यह सोचने और महसूस करने की जरूरत है कि विकास और आर्थिक गति बहुत हद तक उस धन पर निर्भर करती है जो सरकार को करों से प्राप्त होता है। 

हमें टैक्स की चोरी या बचाने की धारणा को अपने स्तर पर बदलना होगा। आइए हम सभी करों का भुगतान करें और अपने बच्चों, भाइयों और बहनों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में अपनी छोटी-बढ़ी भूमिका अदा  करें।

आर्यन प्रेम राणा, संस्थापकएंड  चीफ मेंटरआर्याना मातासको 



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